सारांश : मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ करने के चलते समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अबू आजमी विवादों में घिर गए हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में उनके बयान को लेकर भारी हंगामा हुआ, जिसके चलते उन्हें पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। इस दौरान विधानसभा परिसर में उनके प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है। हालांकि, बढ़ते विवाद के बाद उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी और माफी भी मांगी।
अबू आजमी का बयान बना विवाद का कारण
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अबू आजमी एक विवादित बयान देकर राजनीतिक संकट में फंस गए हैं। उन्होंने मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ की, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया। उनके बयान पर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ और अंततः उन्हें पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया।
मंगलवार को महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों में यह मुद्दा प्रमुखता से छाया रहा। सत्तारूढ़ गठबंधन ‘महायुति’ के सदस्यों ने अबू आजमी के निलंबन और उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की थी। इस मुद्दे पर इतना हंगामा हुआ कि सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी।
क्या कहा था अबू आजमी ने?
अबू आजमी ने महाराष्ट्र विधानसभा सत्र की शुरुआत में मुंबई में पत्रकारों से बातचीत के दौरान अपने विचार व्यक्त किए थे। उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा राहुल गांधी और ममता बनर्जी की तुलना औरंगजेब से किए जाने पर प्रतिक्रिया दी थी।
उन्होंने कहा, "औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए थे। वाराणसी में उसने एक हिंदू लड़की को एक पुजारी से बचाया था, जिसकी उस पर बुरी नज़र थी। उसने पुजारी को हाथियों से कुचलवा दिया था। मैं औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं मानता। उस दौर में सत्ता संघर्ष धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक हुआ करता था। औरंगजेब की सेना में कई हिंदू थे, ठीक उसी तरह जैसे छत्रपति शिवाजी की सेना में कई मुसलमान थे।"
राजनीतिक दलों का आक्रोश और विधानसभा में हंगामा
अबू आजमी के बयान के बाद महाराष्ट्र विधानसभा में महायुति के विधायकों ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के नेताओं ने इसे महाराष्ट्र के गौरवशाली इतिहास का अपमान बताया और आजमी पर कठोर कार्रवाई करने की मांग उठाई।
विधानसभा में बहस के दौरान, भाजपा नेताओं ने उन्हें तत्काल निलंबित करने की मांग की, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया। इसके अलावा, उनके विधानसभा परिसर में प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई।
अबू आजमी ने मांगी माफी
बढ़ते विरोध और विवाद के बीच अबू आजमी को अपने बयान पर सफाई देनी पड़ी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
उन्होंने कहा, "मैंने औरंगजेब के बारे में जो कुछ भी कहा, वह इतिहासकारों और लेखकों के कथन के आधार पर कहा। मैंने शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज या किसी भी महापुरुष के खिलाफ कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की। फिर भी, अगर किसी को मेरी टिप्पणी से ठेस पहुंची है, तो मैं अपने बयान और टिप्पणियां वापस लेता हूं।"
अबू आजमी पहले भी विवादों में रहे हैं
यह पहली बार नहीं है जब अबू आजमी किसी विवादित बयान के कारण सुर्खियों में आए हैं। इससे पहले भी वे अपने बयानों के चलते राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर रहे हैं। मुस्लिम राजनीति में उनकी भूमिका को लेकर भी अक्सर बहस होती रही है।
राजनीतिक निहितार्थ
अबू आजमी का यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब महाराष्ट्र में आगामी चुनावों की सरगर्मियां तेज हो रही हैं। विपक्ष इसे राज्य सरकार के लिए एक नया मुद्दा बनाने में जुटा है, जबकि भाजपा और शिवसेना इस बयान को राष्ट्रवाद और महाराष्ट्र की अस्मिता से जोड़कर जनता के बीच ले जाने की तैयारी में हैं।
निष्कर्ष
अबू आजमी का औरंगजेब को लेकर दिया गया बयान न केवल उनके राजनीतिक करियर के लिए संकट बन गया है, बल्कि इससे महाराष्ट्र की राजनीति में भी एक नई बहस छिड़ गई है। हालांकि उन्होंने माफी मांग ली है, लेकिन इससे उपजा विवाद फिलहाल शांत होता नहीं दिख रहा है। विधानसभा से उनका निलंबन और सदन में उनके प्रवेश पर रोक एक कड़ा संदेश देता है कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बयानबाजी करना राजनीतिक रूप से कितना घातक हो सकता है।
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