सारांश: डोनाल्ड ट्रंप की विवादास्पद टिप्पणी के कुछ हफ्तों बाद, हांगकांग की CK हचिसन होल्डिंग्स ने पनामा नहर पर दो प्रमुख बंदरगाहों में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी अमेरिकी फर्म ब्लैकरॉक को बेच दी है। इस सौदे को अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के पहले बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिकी कंपनी ब्लैकरॉक ने 22.8 बिलियन डॉलर में इस सौदे को अपने नाम किया, हालांकि अंतिम निर्णय के लिए पनामा सरकार की स्वीकृति अभी बाकी है।


पनामा नहर पर फिर अमेरिका का प्रभाव: ट्रंप की रणनीति से चीन को झटका


अमेरिका ने फिर पनामा नहर पर बढ़ाया प्रभाव

डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को घोषणा की कि पनामा नहर अब अमेरिका के कब्जे में आ गई है। यह बयान तब आया जब हांगकांग स्थित CK हचिसन होल्डिंग्स ने नहर के दो प्रमुख बंदरगाहों में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी अमेरिकी फर्म ब्लैकरॉक को बेचने की पुष्टि की। इस सौदे के बाद ट्रंप ने कांग्रेस में कहा, "पनामा नहर अमेरिका द्वारा अमेरिकियों के लिए बनाई गई थी।"


हालांकि, चीन का पनामा नहर पर सीधा नियंत्रण नहीं था, लेकिन CK हचिसन की हांगकांग में उपस्थिति के कारण यह चीनी कानूनों के अधीन थी। ट्रंप के इस बयान को अमेरिका-चीन के व्यापारिक संबंधों में एक नई रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जहां अमेरिका प्रमुख समुद्री व्यापार मार्गों पर अपना प्रभुत्व बढ़ा रहा है।


कैसे हुआ यह सौदा?

अमेरिकी फर्म ब्लैकरॉक ने CK हचिसन होल्डिंग्स से 22.8 बिलियन डॉलर में पनामा नहर के दो प्रमुख टर्मिनल की हिस्सेदारी खरीद ली। यह डील उस वक्त हुई जब ट्रंप ने कुछ हफ्ते पहले कहा था कि चीन पनामा नहर पर प्रभाव बढ़ा रहा है और अमेरिका को इस पर नियंत्रण स्थापित करना चाहिए।


इस सौदे में केवल पनामा नहर के टर्मिनल ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के 23 देशों में स्थित 43 अन्य बंदरगाह भी शामिल हैं। यह सौदा अभी पूर्ण रूप से प्रभावी नहीं हुआ है क्योंकि इसे लागू करने के लिए पनामा सरकार की अंतिम स्वीकृति आवश्यक है।


पनामा नहर: रणनीतिक महत्व और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

82 किलोमीटर लंबी पनामा नहर सेंट्रल अमेरिका से होकर गुजरती है और अटलांटिक तथा प्रशांत महासागरों के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग है। यह दुनिया के सबसे व्यस्त शिपिंग मार्गों में से एक है, जिससे हर साल 14,000 से अधिक जहाज गुजरते हैं।


पनामा नहर का निर्माण 1904 से 1914 के बीच अमेरिका ने किया था। शुरुआत में इस नहर पर अमेरिका का पूर्ण नियंत्रण था, लेकिन 1977 की एक संधि के तहत इसे धीरे-धीरे पनामा को हस्तांतरित कर दिया गया। 1999 में पनामा ने इस पर पूरी तरह नियंत्रण स्थापित कर लिया और तब से यह पनामा कैनाल अथॉरिटी (ACP) द्वारा संचालित हो रही है।


अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और पनामा नहर की भूमिका

चीन पिछले कुछ वर्षों से वैश्विक व्यापार में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए "Belt and Road Initiative" (BRI) के तहत विभिन्न देशों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश कर रहा है। अमेरिका को यह पहल अपने वैश्विक वर्चस्व के लिए खतरे के रूप में दिख रही थी।


CK हचिसन होल्डिंग्स ने 1997 से पनामा नहर के दो टर्मिनलों का संचालन किया था, और इसकी हांगकांग में उपस्थिति के कारण इसे चीन से जोड़ा जाता रहा है। ट्रंप प्रशासन ने इस कंपनी को चीन के प्रभाव में बताया और कहा कि पनामा नहर जैसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों पर अमेरिका को नियंत्रण रखना चाहिए।


ब्लैकरॉक की भूमिका और रणनीतिक प्रभाव

ब्लैकरॉक दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों में से एक है, जो वित्तीय और बुनियादी ढांचा निवेश में सक्रिय रूप से शामिल है। ब्लैकरॉक द्वारा CK हचिसन की हिस्सेदारी खरीदने से अमेरिका को पनामा नहर के व्यापारिक संचालन में महत्वपूर्ण प्रभाव प्राप्त हो जाएगा।


इस सौदे के मुख्य प्रभाव निम्नलिखित होंगे—

  • अमेरिका की समुद्री व्यापार पर पकड़ मजबूत होगी।
  • चीन के वैश्विक व्यापारिक मार्गों पर प्रभाव को कम किया जाएगा।
  • पनामा नहर से होने वाली राजस्व आय का बड़ा हिस्सा अमेरिकी कंपनियों को मिलेगा।
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिका की स्थिति और मजबूत होगी।


क्या यह सौदा पनामा को प्रभावित करेगा?

हालांकि अमेरिका और चीन इस सौदे को अपनी रणनीतिक जीत या हार के रूप में देख सकते हैं, लेकिन पनामा के लिए यह स्थिति थोड़ी जटिल हो सकती है। पनामा नहर के माध्यम से होने वाली आय देश की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।


यदि ब्लैकरॉक इस नहर का उपयोग केवल अमेरिकी हितों के लिए करने का प्रयास करता है, तो यह पनामा की संप्रभुता और आर्थिक स्थिरता के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा, यदि चीन अमेरिका के इस कदम को अपने खिलाफ मानता है, तो वह पनामा में अन्य रणनीतिक निवेश बढ़ा सकता है।


क्या यह सौदा चीन-अमेरिका संबंधों को और बिगाड़ सकता है?

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध पहले से ही जारी है। अमेरिका ने चीनी कंपनियों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं और चीन भी अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर रहा है।


पनामा नहर का यह सौदा निश्चित रूप से चीन को आर्थिक और व्यापारिक रूप से कमजोर करने की दिशा में अमेरिका का एक कदम हो सकता है। अगर चीन इस सौदे को अपने खिलाफ मानता है, तो वह भी अन्य वैश्विक व्यापार मार्गों में निवेश कर अमेरिका की इस बढ़त को चुनौती दे सकता है।

Post a Comment

और नया पुराने