सारांश: भारत में जल्द ही सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू होने जा रही है, जिससे देश के दूरदराज और समुद्री क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट की पहुंच आसान होगी। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) इस सेवा के नियमों और मूल्य निर्धारण को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। जून 2024 तक इस सेवा के व्यावसायिक रूप से शुरू होने की उम्मीद है। रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और एलन मस्क की स्टारलिंक इस सेक्टर में प्रमुख दावेदार हैं।
भारत में डिजिटल क्रांति की ओर एक और कदम
भारत सरकार सैटेलाइट इंटरनेट को जल्द से जल्द लागू करने की दिशा में कार्य कर रही है। TRAI इस सेवा के लिए आवश्यक रेगुलेटरी ढांचा तैयार कर रहा है, जिसमें स्पेक्ट्रम आवंटन, मूल्य निर्धारण और राजस्व साझेदारी जैसे महत्वपूर्ण पहलू शामिल होंगे।
दूरसंचार विभाग (DoT) इन सिफारिशों को बिना किसी विवाद के जल्द से जल्द मंजूरी देने की प्रक्रिया में है। TRAI मार्च 2024 तक अपनी सिफारिशें सौंप सकता है, जिसके बाद डिजिटल कम्युनिकेशन कमिशन (DCC) इन्हें मंजूरी देगा। स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया में लगभग दो से तीन महीने का समय लग सकता है, जिससे जून 2024 तक सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू हो सकती हैं।
कौन-कौन सी कंपनियां इस सेक्टर में उतर रही हैं?
भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा को लागू करने के लिए तीन प्रमुख कंपनियां अपनी तैयारियों में जुटी हुई हैं—
- रिलायंस जियो इन्फोकॉम – फरवरी 2022 में इसने लक्ज़मबर्ग स्थित सैटेलाइट ऑपरेटर SES के साथ एक ज्वाइंट वेंचर किया था।
- भारती एयरटेल – एयरटेल ने जनवरी 2022 में Hughes Communications India के साथ साझेदारी में UK की OneWeb के साथ एक डील की थी। 2023 में फ्रांस की Eutelsat ने OneWeb का अधिग्रहण किया, लेकिन एयरटेल ने OneWeb की भारतीय शाखा में 100% हिस्सेदारी बरकरार रखी है।
- एलन मस्क की स्टारलिंक – यह क्षेत्र की तीसरी बड़ी प्रतिस्पर्धी कंपनी है, लेकिन भारत सरकार के कड़े नियमों के चलते इसकी प्री-बुकिंग रोक दी गई थी। Starlink को भारत में Global Mobile Personal Communication by Satellite (GMPCS) लाइसेंस नहीं मिला है।
सैटेलाइट इंटरनेट कैसे करेगा काम?
सैटेलाइट इंटरनेट सेवा, उपग्रहों के माध्यम से डेटा ट्रांसमिट करके काम करती है। इन उपग्रहों को लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) और जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (GEO) में तैनात किया जाता है, जो धरती पर मौजूद रिसीवर स्टेशनों से जुड़े रहते हैं। ये रिसीवर इंटरनेट डेटा को मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य डिवाइस तक पहुंचाने का काम करते हैं।
भारत सरकार ने 2020 से 2022 के बीच अपने स्पेस सेक्टर को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया था, जिससे सैटेलाइट स्पेक्ट्रम और इंफ्रास्ट्रक्चर तक उनकी पहुंच आसान हुई।
ग्रामीण इलाकों के लिए गेम-चेंजर साबित होगी यह सेवा
भारत में लाखों लोग अब भी इंटरनेट की पहुंच से वंचित हैं, खासकर पहाड़ी, ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में। सैटेलाइट इंटरनेट सेवा इन क्षेत्रों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। इसके कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं—
- हाई-स्पीड इंटरनेट – यह सेवा उन इलाकों में भी तेज इंटरनेट प्रदान करेगी, जहां फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क बिछाना मुश्किल है।
- डिजिटल समावेशन – शिक्षा, स्वास्थ्य और डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का विस्तार होगा।
- व्यापार के नए अवसर – ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन व्यापार और डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा।
- समुद्री और हवाई यात्रा में इंटरनेट – जहाजों और विमानों में भी इंटरनेट कनेक्टिविटी संभव होगी।
भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा का भविष्य
सरकार की डिजिटल इंडिया पहल को आगे बढ़ाने में सैटेलाइट इंटरनेट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। इस तकनीक से उन इलाकों में भी इंटरनेट पहुंचाया जा सकेगा, जहां अब तक पारंपरिक नेटवर्क नहीं पहुंच पाया है।
हालांकि, इस सेवा की सफलता कई कारकों पर निर्भर करेगी, जैसे—स्पेक्ट्रम आवंटन प्रक्रिया, सरकारी नीतियां, मूल्य निर्धारण और निजी कंपनियों की भागीदारी। अगर यह सभी कारक अनुकूल रहते हैं, तो 2024 भारत के लिए डिजिटल क्रांति का एक नया अध्याय साबित हो सकता है।
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