वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संवैधानिक संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली-एनसीआर और उसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित और प्रबंधित करना है। इस आयोग का गठन वायु गुणवत्ता में सुधार लाने और वायु प्रदूषण से संबंधित विभिन्न समस्याओं का समाधान करने के लिए किया गया है। आयोग विभिन्न संबंधित राज्यों, सरकारी एजेंसियों और संगठनों के साथ मिलकर काम करता है ताकि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकें।


वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)


स्थापना: वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की स्थापना भारत सरकार द्वारा 2021 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली-एनसीआर) और इसके पड़ोसी राज्यों में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए की गई थी। यह आयोग दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में वायु गुणवत्ता से संबंधित नीतियों और नियमों का निर्धारण करने के लिए जिम्मेदार है। इसका गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के मार्गदर्शन के तहत किया गया।


कार्य और उद्देश्य: सीएक्यूएम का प्रमुख उद्देश्य वायु प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करना, उनके समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाना और एक प्रभावी वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली विकसित करना है। इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:


प्रदूषण नियंत्रण नीतियों का निर्माण: वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके आसपास के राज्यों के लिए नीतियों और मानकों का निर्माण करना।


पर्यावरणीय कानूनों का क्रियान्वयन: प्रदूषण से संबंधित मौजूदा कानूनों और नीतियों का सख्ती से पालन कराना, साथ ही इसके उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई करना।


प्रौद्योगिकी समाधान: प्रदूषण के स्रोतों, जैसे पराली जलाने, औद्योगिक उत्सर्जन और वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए नई प्रौद्योगिकियों और समाधानों को प्रोत्साहन देना।


समन्वय और निगरानी: केंद्र और राज्य सरकारों के साथ समन्वय स्थापित कर प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों की निगरानी करना और प्रदूषण की स्थिति का आकलन करना।


जन जागरूकता: वायु प्रदूषण के बारे में लोगों को जागरूक करना और उन्हें इसके दुष्प्रभावों से अवगत कराना। साथ ही, स्वच्छ वायु को बढ़ावा देने वाले अभियानों को प्रोत्साहित करना।


संरचना: सीएक्यूएम एक बहु-सदस्यीय निकाय है, जिसमें विशेषज्ञ, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, और वायु प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में कार्यरत लोग शामिल होते हैं। इसका अध्यक्ष एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी होता है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। आयोग में वायु गुणवत्ता प्रबंधन से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं, जो तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं।


सीएक्यूएम की चुनौतियाँ:


पराली जलाना: उत्तर भारत में पराली जलाना वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है, जिसे नियंत्रित करना आयोग के सामने एक बड़ी चुनौती है।


औद्योगिक और वाहन प्रदूषण: दिल्ली-एनसीआर में औद्योगिक इकाइयों और वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण भी वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।


संसाधनों की कमी: वायु गुणवत्ता की निगरानी और सुधार के लिए पर्याप्त संसाधनों और प्रौद्योगिकी की कमी आयोग के कामकाज को प्रभावित करती है।


प्रमुख पहल और कदम: सीएक्यूएम ने वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई प्रमुख पहलें शुरू की हैं, जिनमें बेहतर निगरानी प्रणाली की स्थापना, वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करने के उपाय, औद्योगिक प्रदूषण पर सख्त नियम, और पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए किसानों को वैकल्पिक विधियों के प्रति जागरूक करना शामिल है।