सुपर ओवर, जिसे एक-ओवर एलिमिनेटर या सिर्फ एलिमिनेटर के रूप में भी जाना जाता है, लिमिटेड-ओवर्स क्रिकेट मैचों में टाई ब्रेकिंग विधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोजन उन मैचों को एक स्पष्ट परिणाम प्रदान करना है जिनमें दोनों टीमों के स्कोर मैच के अंत में बराबर होते हैं।
इतिहास और परिचय
सुपर ओवर को आधिकारिक रूप से 2008 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने एक नई विधि के रूप में पेश किया था जो कि टी20 (T20) मैचों में बराबरी को तोड़ने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके बाद से, सुपर ओवर को वन डे इंटरनेशनल (ODIs) और विभिन्न घरेलू टी20 लीगों में भी अपनाया गया है, जैसे कि इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) और बिग बैश लीग (BBL)।
नियम और विनियम
एक सुपर ओवर में, प्रत्येक टीम तीन बल्लेबाजों और एक गेंदबाज को एक ही अतिरिक्त ओवर खेलने के लिए नामित करती है। इस ओवर में सबसे अधिक रन बनाने वाली टीम मैच जीतती है। अगर सुपर ओवर के बाद भी स्कोर बराबर होता है, तो विशिष्ट प्रतियोगिता के आधार पर विभिन्न नियम लागू होते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं:
बाउंड्री गिनती वापस: विजेता का निर्धारण करने के लिए मौजूदा इनिंग्स और सुपर ओवर में उन टीमों के बाउंड्री (चौके और छक्के) की संख्या का उपयोग किया जाता है जिनकी मैच खेली गई थी।
आगामी सुपर ओवर: कुछ मामलों में, एक और सुपर ओवर खेला जा सकता है जब तक विजेता निर्धारित नहीं होता।
प्रमुख घटनाएँ
2009 आईसीसी विश्व ट्वेंटी20: न्यूजीलैंड और वेस्ट इंडीज के बीच एक समूह मैच में सुपर ओवर का प्रयोग किया गया था।
2019 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप: इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच क्रिकेट विश्व कप के फाइनल मैच में सुपर ओवर का प्रयोग हुआ था।
यहाँ आप जान सकते हैं कि सुपर ओवर क्या है और इसका उपयोग किस प्रकार से किया जाता है। यह एक रोमांचक और प्रेरणादायक विधि है जो क्रिकेट मैचों में एक स्पष्ट निर्णय प्रदान करने के लिए प्रयोग की जाती है।