एम्स नई दिल्ली में डॉक्टरों के नए बैच में से एक छात्र, बिजनौर के कीरतपुर गांव के एक खेत मजदूर की बेटी चारुल होनारिया हैं. वह अपने गाँव से उच्च शिक्षा और मेडिकल की पढ़ाई करने वाली पहली शख्स हैं. महामारी के कारण उन्होंने घर से ही ऑनलाइन पढ़ाई की. हर सुबह 10 बजे, वह एक चटाई पर बैठती है और स्मार्टफोन के जरिए ऑनलाइन क्लास लेती थीं.
चारुल ने मीडिया से कहा, मेरे गांव में लड़कियों की शादी कम उम्र में करके, उन्हें स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है. चारुल ने कहा, वे अपने माता-पिता की आभारी हैं. उन पर विश्वास करने और मेडिकल की पढ़ाई करने की इजाजत देने के लिए.
नेशनल एलिजिबिलिटी कॉम्प्रिहेंशन एंट्रेंस टेस्ट (एनईईटी) में, चारुल ने पूरे भारत में 631 अंक हासिल किए और अपनी श्रेणी (एससी) में 10वें स्थान पर रहीं. चारुल के 12वीं कक्षा में मनोविज्ञान में 98, जीव विज्ञान में 97 और भौतिकी और रसायन विज्ञान में 95 अंक, अंग्रेजी में 80 नंबर आए।.उनका कुल प्रतिशत 93% था.
खराब बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण उनकी क्लास में रुकावट आती थी. केवल अपने घर की छत पर ही उसे मजबूत सिग्नल मिलता था. क्लास लेने के लिए फोन एकमात्र डिवाइस था. कक्षा 5 तक, चारुल ने अपने गाँव के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई की.
चारुल ने शिव नादर फाउंडेशन द्वारा संचालित ग्रामीण नेतृत्व स्कूल विद्याज्ञान के लिए प्रवेश परीक्षा पास की. जिससे कक्षा 6 दाखिला मिला. चारुल ने कहा, “मुझे वह समय याद है जब हमारे घर में एक भी रुपया नहीं होता था. अगर हमें कुछ भी खरीदना होता था तो मेरे पिता को उधार लेना पड़ता था. आज तक हमारे घर पर रेफ्रिजरेटर या कूलर नहीं है.”
चारुल के पिता शौकीन सिंह ने कहा, मेरा सपना सच हो गया. बिटिया एमबीबीएस की डिग्री हासिल करेगी और ग्रामीणों के लिए काम करेगी.” चारुल की biology instructor शालिनी अलमादी ने उसे एक प्रतिभाशाली और ईमानदार छात्रा बताया. शिक्षक ने कहा, “पहले दिन जब मैं उसकी कक्षा में गई तब वह 9वीं में थी, उस मया ही मैंने उसे बहुत फोकस्ड पाया था. वह डॉक्टर बनना चाहती थी और मैं वास्तव में उसमें एक डॉक्टर देख सकती थी.”






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