मोदी सरकार देश के श्रमिकों, कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए विश्वकर्मा योजना लेकर आई है. 13,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस योजना से देश के लगभग 30 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा.

16 अगस्त को केंद्रीय कैबिनेट ने पीएम विश्वकर्मा को मंजूरी दी.

हाइलाइट्स

  • श्रमिकों, कारीगरों और शिल्पकारों के लिए सरकार विश्वकर्मा योजना लेकर आई है.
  • इस स्कीम में लोन के साथ-साथ कुशल कामगारों को मुफ्त ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
  • यह योजना विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर (17 सितंबर) शुरू की जायेगी.

नई दिल्ली. गरीब से लेकर अमीर वर्ग के हर व्यक्ति को अपना बिजनेस शुरू करने के लिए पर्याप्त पूंजी की जरूरत होती है. सरकार उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ग के व्यक्ति के कल्याण के लिए योजनाएं लाती रहती है. इसी कड़ी में मोदी सरकार देश के श्रमिकों, कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए विश्वकर्मा योजना लेकर आई है. 77वें स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना का उल्‍लेख किया था, जिसे 16 अगस्त को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी.

5 साल की अवधि के लिए 13,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस योजना से बुनकर, सुनार, लोहार, कपड़े धोने वाले श्रमिकों और नाई समेत पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लगभग 30 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा. यह योजना विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर (17 सितंबर) शुरू की जायेगी. आइये पीएम विश्वकर्मा योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं.

पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य

कैबिनेट से इस योजना को मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि देश के छोटे-छोटे कस्बों में लोहार, कुम्हार, राज मिस्त्री, धोबी, फूलों का काम करने वाले, मछली का जाल बुनने वाले, ताला-चाबी बनाने वाले और मूर्तिकार समेत कौशल कार्य से जुड़े कई वर्ग हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में इन वर्गों का महत्वपूर्ण स्थान है और इन्हें आर्थिक शक्ति देने के मकसद से मंत्रिमंडल ने ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ को मंजूरी दी है.


योजना की खासियत

इस योजना में इस बात पर ध्यान दिया जायेगा कि इन वर्गों का किस तरह से अधिक कौशल विकास हो तथा नए प्रकार के उपकरणों एवं डिजाइन की जानकारी मिले. पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत इन सभी वर्ग के कामगारों को उपकरणों की खरीद में भी मदद की जायेगी. इसके तहत दो प्रकार का कौशल विकास कार्यक्रम होगा जिसमें पहला ‘बेसिक’ और दूसरा ‘एडवांस’ होगा. इस कोर्स को करने वालों को मानदेय (स्टाइपंड) भी मिलेगा. कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लाभार्थियों को प्रतिदिन 500 रूपये के हिसाब से मानदेय दिया जायेगा.


इस योजना के तहत प्रथम चरण में 1 लाख रूपये का तक कर्ज दिया जायेगा जिस पर रियायती ब्याज (अधिकतम 5 प्रतिशत) देय होगा. व्यवसाय को व्यवस्थित करने के बाद दूसरे चरण में 2 लाख रूपये का रियायती ऋण प्रदान किया जायेगा. इसके अलावा आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए 15 हजार रूपये की मदद दी जायेगी, साथ ही कारीगरों को डिजिटल लेनदेन में प्रोत्साहन और मार्केट सपोर्ट दिया जायेगा. सरकारी बयान के अनुसार, पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों, शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र प्रदान कर मान्यता भी दी जायेगी और पहचान पत्र भी दिया जायेगा.

किन श्रमिकों वर्गों को मिलेगा लाभ

पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत पहले चरण में 18 पारंपरिक कार्य करने वालों को रखा गया है. इनमें बढ़ई, नौका बनाने वाले, लोहार, हथौड़ा एवं औजार बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, पत्थर की कारीगरी करने वाले, चर्मकार, राज मिस्त्री, दरी, झाड़ू एवं टोकरी बनाने वाले, धोबी, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले आदि शामिल हैं.

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