सारांश: भारत सरकार इनकम टैक्स के पुराने और जटिल नियमों को सरल बनाने की दिशा में कदम उठा रही है। इसके लिए एक पैनल का गठन किया गया है, जो सुझाव देगा कि किन नियमों को समाप्त किया जाए। यह पैनल 1961 के इनकम टैक्स एक्ट की 90 से ज्यादा धाराओं को अप्रासंगिक मानते हुए उन्हें हटाने पर विचार कर रहा है। सरकार का उद्देश्य टैक्सेशन को सरल और तार्किक बनाना है, जिससे टैक्सपेयर्स को सहूलियत हो। इस दिशा में बदलाव की शुरुआत पहले ही न्यू टैक्स रिजीम से की जा चुकी है।
इनकम टैक्स कानूनों में संभावित बदलावों की दिशा में सरकार का यह कदम अहम साबित हो सकता है। इस दिशा में सरकार ने एक पैनल का गठन किया है, जिसका मुख्य कार्य पुराने और जटिल टैक्स नियमों को सरल बनाना है। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने यह पैनल बनाया है, जो इनकम टैक्स के विभिन्न नियमों की समीक्षा करेगा और सुझाव देगा कि किन नियमों को हटाया जा सकता है। इस पैनल की अगुवाई इनकम टैक्स के चीफ कमिश्नर वीके गुप्ता कर रहे हैं। पैनल का मुख्य फोकस टैक्सेशन को सरल, प्रभावी और समय के अनुसार प्रासंगिक बनाने पर है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, पैनल ने 1961 के इनकम टैक्स एक्ट की 90 से ज्यादा धाराओं को अप्रासंगिक करार दिया है। चर्चा में सामने आया है कि ये धाराएं अब वर्तमान परिस्थितियों के अनुकूल नहीं हैं और इन्हें खत्म करने की जरूरत है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) के चेयरमैन रवि अग्रवाल की निगरानी में इस पैनल ने इन धाराओं की समीक्षा की। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव आवश्यक है, ताकि टैक्सेशन सिस्टम को सरल और प्रभावी बनाया जा सके।
पैनल का मुख्य उद्देश्य टैक्सेशन प्रक्रिया को कम जटिल और अधिक पारदर्शी बनाना है। इसके तहत पैनल ने इनकम टैक्स अपील प्रक्रिया, छूट और कटौतियों के प्रावधानों पर गहन चर्चा की है। पैनल का मानना है कि छूट और कटौतियों को कम करके, टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स भुगतान प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है। इसके अलावा, कम्प्यूटेशन के तरीकों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने पर भी चर्चा हो रही है। पैनल का फोकस विशेष रूप से स्पेशल इकोनॉमिक जोन, टेलीकम्यूनिकेशन और कैपिटल गेन से जुड़ी धाराओं पर है।
सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम के साथ इस दिशा में पहले ही शुरुआत कर दी है, जिसका उद्देश्य डायरेक्ट टैक्सेशन को सरल बनाना है। पुराने टैक्स रिजीम में कई छूट और कटौतियों का प्रावधान था, जो इसे जटिल बनाता था। सरकार का मानना है कि कम छूट और कटौतियों के साथ एक सरल टैक्स प्रणाली लागू की जाए, जिससे टैक्सपेयर्स को राहत मिल सके। न्यू टैक्स रिजीम में भी छूट और कटौतियों की संख्या कम की गई है, जिससे टैक्स रेट तुलनात्मक रूप से कम हो सके।
इन संभावित बदलावों से इनकम टैक्स के नियम और प्रक्रियाएं अधिक सरल हो सकती हैं, जिससे टैक्सपेयर्स को काफी सुविधा मिलेगी। सरकार का यह कदम टैक्सपेयर्स को एक सरल और प्रभावी टैक्सेशन सिस्टम प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इसके अलावा, इस पैनल की सिफारिशों के आधार पर, इनकम टैक्स के अन्य पहलुओं में भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं, जो भारतीय टैक्स प्रणाली को और अधिक पारदर्शी बनाएंगे।
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