सारांश : महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के गिरने से राजनीतिक हंगामा खड़ा हो गया है। यह प्रतिमा 4 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनावरण की गई थी, लेकिन केवल 8 महीने बाद ही यह मूर्ति गिर गई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सफाई देते हुए कहा कि प्रतिमा नौसेना द्वारा बनाई गई थी और हवा के कारण गिर गई। विपक्ष ने सरकार पर जल्दबाजी और गुणवत्ता की अनदेखी के आरोप लगाए हैं। इस घटना ने राज्य में राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी है।

Shivaji Maharaj की मूर्ति गिरने पर बवाल: PM Modi के अनावरण के बाद 8 महीने में ही ढही प्रतिमा


महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में स्थित ऐतिहासिक राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के गिरने की घटना ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। यह प्रतिमा पिछले वर्ष 4 दिसंबर को नौसेना दिवस के अवसर पर स्थापित की गई थी, और इसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। प्रतिमा को 'बहादुरी को सलाम' के तौर पर स्थापित किया गया था, लेकिन केवल 8 महीने के भीतर ही यह मूर्ति गिर गई, जिसने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीव्र प्रतिक्रिया उत्पन्न की है।


मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस घटना के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह प्रतिमा नौसेना द्वारा बनाई और डिजाइन की गई थी, और प्रतिकूल मौसम की वजह से गिर गई। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जल्द ही एक नई प्रतिमा स्थापित की जाएगी। लेकिन विपक्ष ने इसे सरकार की विफलता करार देते हुए आरोप लगाया है कि मूर्ति के निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया और इसके अनावरण की जल्दबाजी की गई।


शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक वैभव नाइक ने इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाते हुए सरकार से घटना की जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने लोक निर्माण विभाग (PWD) के कार्यालय में गुस्सा जाहिर करते हुए इस घटना की कड़ी निंदा की है। इसी तरह, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने भी इस मूर्ति के गिरने पर सरकार को आड़े हाथों लिया है।


जयंत पाटिल ने कहा कि यह घटना बेहद गंभीर है और सरकार की ओर से मूर्ति स्थापित करते समय सावधानी नहीं बरती गई। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का ध्यान केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों मूर्ति का अनावरण कराने पर था, जबकि काम की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। पाटिल ने इसे जनता और प्रधानमंत्री के साथ धोखाधड़ी करार दिया और कहा कि इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए।


बारामती से एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने भी इस घटना पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए 'एक्स' पर पोस्ट किया कि जब देश का प्रधानमंत्री किसी स्मारक या इमारत का उद्घाटन करता है, तो लोगों को यह विश्वास होता है कि उसका निर्माण कार्य उच्च गुणवत्ता का होगा। लेकिन शिवाजी महाराज की प्रतिमा के गिरने को उन्होंने शिवाजी महाराज का अपमान बताया और सरकार से इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की।


घटना के बाद मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के साथ हमारी गहरी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। वे हमारे आराध्य देव हैं और हम उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिमा के निर्माण और डिजाइन का कार्य नौसेना ने किया था और प्रतिकूल मौसम की वजह से यह मूर्ति गिर गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने जिला कलेक्टर से चर्चा की है और जल्द ही शिवाजी महाराज की एक नई प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि घटना के बाद राज्य के पालक मंत्री रविंद्र चव्हाण स्थिति का जायजा लेने पहुंचे हैं और कलेक्टर और नौसेना के अधिकारियों के साथ मिलकर इस मुद्दे का समाधान निकाला जा रहा है।


इस पूरे घटनाक्रम ने महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। जहां एक तरफ सरकार इस घटना को एक दुर्घटना के रूप में देख रही है, वहीं विपक्ष इसे सरकार की नाकामी करार दे रहा है। शिवाजी महाराज जैसे महापुरुष की प्रतिमा का इस तरह गिरना न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है।

Post a Comment

और नया पुराने