सारांश: नए इनकम टैक्स बिल 2025 का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था, और अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसे संसद में पेश करने जा रही हैं। इस बिल का मुख्य उद्देश्य मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट, 1961 को सरल बनाना और कानूनी विवादों को कम करना है। इसमें टैक्स ईयर की नई अवधारणा, सेक्शन में बदलाव, क्रिप्टोकरेंसी पर सख्त नियम और टैक्स स्लैब में स्थिरता जैसी कई महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं। इस लेख में हम नए इनकम टैक्स बिल के 10 प्रमुख बिंदुओं को विस्तार से समझेंगे।
1. टैक्स ईयर का नया कॉन्सेप्ट
नए इनकम टैक्स बिल में टैक्स ईयर की एक नई अवधारणा पेश की जाएगी। इसका उद्देश्य असेसमेंट ईयर और फाइनेंशियल ईयर को लेकर टैक्सपेयर्स की उलझनों को कम करना है। इससे टैक्सपेयर्स को यह स्पष्ट होगा कि वे किस वर्ष की इनकम के लिए रिटर्न फाइल कर रहे हैं और टैक्स जमा कर रहे हैं।
2. फाइनेंशियल ईयर में कोई बदलाव नहीं
फाइनेंशियल ईयर का मौजूदा ढांचा पहले की तरह बना रहेगा। यह 1 अप्रैल से 31 मार्च तक ही रहेगा। कुछ अटकलें थीं कि इसे कैलेंडर ईयर (1 जनवरी से 31 दिसंबर) में बदला जा सकता है, लेकिन नए बिल में ऐसा कोई बदलाव नहीं किया गया है।
3. टैक्स एक्ट के सेक्शन में होंगे बदलाव
नए इनकम टैक्स बिल में विभिन्न सेक्शनों में बदलाव किए जाने की संभावना है। मौजूदा एक्ट के सेक्शन 139 (इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग) और सेक्शन 115BAC (न्यू टैक्स रिजीम) को नए तरीके से पुनर्गठित किया जाएगा। यह बदलाव टैक्स कानूनों की भाषा को सरल और समझने में आसान बनाने के लिए किए जाएंगे।
4. रेजिडेंसी कानून में कोई बदलाव नहीं
नया इनकम टैक्स बिल रेजिडेंसी लॉ में कोई बदलाव नहीं करेगा। वर्तमान नियमों के अनुसार, करदाताओं को यह निर्धारित करने के लिए पिछले 10 वर्षों का डेटा देखना पड़ता है कि वे किस श्रेणी में आते हैं—आम निवासी, गैर-आम निवासी, या अनिवासी। हालांकि, कई विशेषज्ञ इस कानून में सुधार की जरूरत महसूस कर रहे हैं।
5. व्यापक आयकर विधेयक और अधिक संरचित दृष्टिकोण
नया इनकम टैक्स बिल मौजूदा एक्ट की तुलना में अधिक व्यापक और संगठित होगा। इसमें 23 अध्याय, 536 धाराएं और 16 अनुसूचियां होंगी, जबकि मौजूदा एक्ट में केवल 298 धाराएं और 14 अनुसूचियां हैं। इसका उद्देश्य टैक्स प्रशासन को अधिक स्पष्ट और संगठित बनाना है।
6. टैक्सपेयर्स के लिए होगी अधिक सुविधा
नए कानून में विभिन्न कर छूट और कटौतियों को एक ही जगह सूचीबद्ध किया जाएगा, जिससे करदाताओं को अधिक सुविधा होगी। वेतन से संबंधित कटौतियां, जैसे स्टैंडर्ड डिडक्शन, ग्रेच्युटी, और लीव एनकैशमेंट को अलग-अलग सेक्शन में रखने की बजाय एक ही स्थान पर समाहित किया जाएगा।
7. नई प्रणाली में प्रारंभिक समस्याएं हो सकती हैं
(टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) से जुड़े सभी सेक्शन को एक साथ तालिका के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इससे टैक्स रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया प्रारंभ में थोड़ी जटिल हो सकती है, क्योंकि नए फॉर्म और प्रक्रियाओं को समझने में समय लगेगा। हालांकि, लंबे समय में इससे टैक्स प्रणाली को अधिक पारदर्शी और संगठित बनाने में मदद मिलेगी।
8. कैपिटल गेन टैक्सेशन में कोई बदलाव नहीं
बजट 2025 के अनुसार, कैपिटल गेन टैक्सेशन में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की समयसीमा, टैक्स स्लैब और अन्य कर नियमों में स्थिरता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।
9. एक साल बाद लागू होगा नया बिल
सूत्रों के अनुसार, नया इनकम टैक्स बिल 1 अप्रैल, 2026 से लागू होने की संभावना है। इसका मतलब यह है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए अभी भी मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट के तहत ही कर का आकलन और रिपोर्टिंग करनी होगी।
10. क्रिप्टोकरेंसी पर कड़े नियम
नए इनकम टैक्स बिल में क्रिप्टोकरेंसी और अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर सख्त नियम लागू किए जाएंगे। अब क्रिप्टो एसेट्स को 'अनडिस्क्लोज्ड इनकम' की श्रेणी में रखा जाएगा, जैसे कि नकदी, बुलियन और ज्वेलरी। इस कदम का उद्देश्य डिजिटल भुगतान को अधिक पारदर्शी बनाना और कर चोरी को रोकना है।
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