सारांश: भारत में सड़कों के निर्माण और रखरखाव के लिए टोल टैक्स वसूला जाता है, लेकिन खराब सड़कों के बावजूद शुल्क लेने पर विवाद होता रहा है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि अगर सड़कें खराब हैं, तो टोल टैक्स नहीं वसूला जा सकता। इस लेख में टोल टैक्स नियम, सरकार का रुख, छूट और वसूली से जुड़े पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है।


सड़कें खराब तो टोल क्यों? हाईकोर्ट के फैसले से बढ़ी उम्मीद, जानिए नियम और सरकार का रुख

भारत में टोल टैक्स का महत्व


पिछले एक दशक में भारत के बुनियादी ढांचे में तेजी से विकास हुआ है, विशेष रूप से सड़कों के क्षेत्र में। देश में हाईवे नेटवर्क दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क बन चुका है, जिससे परिवहन की सुविधा बढ़ी है। इन सड़कों के निर्माण और रखरखाव के लिए टोल टैक्स एक प्रमुख स्रोत है, जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (शुल्क निर्धारण और संग्रह) नियम, 2008 के तहत लागू किया गया है। हालांकि, खराब सड़कों पर टोल वसूली को लेकर जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है।


हाईकोर्ट का अहम फैसला


हाल ही में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि सड़क की स्थिति खराब है, तो टोल टैक्स नहीं लिया जाना चाहिए। इस फैसले के बाद वाहन चालकों को राहत मिलने की उम्मीद है। यह फैसला उन शिकायतों के बाद आया, जिनमें कहा गया था कि खराब और गड्ढों से भरी सड़कों पर भी टोल वसूला जा रहा है।


टोल टैक्स के नियम क्या कहते हैं?


  • भारत में टोल वसूली राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम, 2008 के तहत होती है। इसके तहत:
  • टोल प्लाजा दो बिंदुओं के बीच कम से कम 60 किमी की दूरी पर होना चाहिए।
  • टोल राशि वाहन की श्रेणी और तय दूरी के आधार पर निर्धारित होती है।
  • स्थानीय निवासियों को छूट देने के लिए मासिक पास का प्रावधान है।
  • फास्टैग के माध्यम से टोल वसूली को तेज और पारदर्शी बनाया गया है।


सरकार की प्रतिक्रिया


केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी कई बार कह चुके हैं कि खराब सड़कों पर टोल वसूला जाना गलत है। 2025 में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने निजी वाहनों के लिए मासिक और वार्षिक टोल पास योजना की घोषणा की थी। गडकरी का मानना है कि टोल से होने वाली आय का बड़ा हिस्सा वाणिज्यिक वाहनों से आता है, इसलिए निजी वाहनों पर बोझ कम किया जाना चाहिए।


टोल वसूली और उसकी प्रक्रिया


2023-24 में भारत में कुल टोल संग्रह 64,809.86 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 35% अधिक था। लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2000 से अब तक टोल वसूली से सरकार को 1.44 लाख करोड़ रुपये की आय हुई है। वर्तमान में देशभर में 1,200 से अधिक टोल प्लाजा कार्यरत हैं, जिनमें से अधिकांश भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधीन हैं।


टोल से मिलने वाली छूट


भारत में कुछ श्रेणियों के वाहनों को टोल टैक्स में छूट दी जाती है, जैसे:


  • सरकारी एंबुलेंस और पुलिस वाहन
  • सेना और अर्धसैनिक बलों के वाहन
  • स्वतंत्रता सेनानियों और दिव्यांगों के वाहन
  • कुछ विशेष परिस्थितियों में स्थानीय निवासियों को भी छूट


हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ 2025 के दौरान कुछ टोल प्लाजा को अस्थायी रूप से निःशुल्क करने की घोषणा की थी।


टोल का उपयोग कहां होता है?


टोल से प्राप्त धनराशि का बड़ा हिस्सा सड़क निर्माण और रखरखाव में लगाया जाता है। इसके अलावा, बैंकों से लिए गए कर्ज की अदायगी में भी इसका उपयोग किया जाता है। कई राजमार्ग परियोजनाएं सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत चलाई जाती हैं, जिनकी निगरानी सरकार और NHAI द्वारा की जाती है।

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