सुंदर चेहरा, दमदार शरीर और ओजस्वी व्यक्तित्व हर व्यक्ति की चाह होती है। बहुत-से लोग इसके लिए महंगे सप्लीमेंट या कठिन वर्कआउट करते हैं, लेकिन भारत की प्राचीन विद्या – प्राणायाम – में इसका सच्चा रहस्य छिपा है।

प्राणायाम न केवल शरीर को बलवान बनाता है, बल्कि वीर्य-संरक्षण, मानसिक शक्ति और आत्म-नियंत्रण को भी बढ़ाता है। दयानंद सरस्वती जी और प्रोफेसर राममूर्ति जैसे महान व्यक्तियों की दिनचर्या में भी इसका विशेष स्थान रहा है।


सुबह ब्रह्म-मुहूर्त (सूर्योदय से पहले) खाली पेट स्वच्छ वातावरण में ये चार प्राणायाम करें —


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1. ब्रह्म प्राणायाम


सांस को बाहर निकालें और जितनी देर संभव हो, उसे रोके रखें। इस दौरान मूलाधार (गुदा द्वार) को ऊपर की ओर खींचें। जब घबराहट महसूस हो, तो धीरे-धीरे सांस अंदर लें।

👉 इसे 6 बार करें।


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2. अभ्यंतर प्राणायाम


सांस अंदर लें और अधिक से अधिक देर तक रोकें। मन में "ॐ" का जाप करते रहें।

👉 इसका अभ्यास 5 बार करें।


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3. स्तंभवृति प्राणायाम


सामान्य सांस लेते समय उसे बीच में रोकें — चाहे अंदर की ओर या बाहर की ओर।

👉 जितनी देर संभव हो, रोकने का प्रयास करें। 4 बार दोहराएँ।


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4. ब्रह्म अभियंतर विक्षेपी प्राणायाम


जब सांस छोड़ने का मन हो, तो रोककर अंदर लें; और जब सांस लेने का मन हो, तो रोककर बाहर छोड़ें।

👉 यह विपरीत क्रिया इंद्रिय-नियंत्रण और मानसिक स्थिरता देती है। इसे 4 बार करें।


महर्षि दयानंद कहते हैं —


"प्राणायाम से अशुद्धियों का नाश होता है, ज्ञान का प्रकाश बढ़ता है, और आत्मबल अटूट बनता है।"


नियमित अभ्यास से आपका वीर्य-संवर्धन, बुद्धि-विकास और आत्मविश्वास अद्भुत रूप से बढ़ता है। मन शांत, चेहरे पर चमक और शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।


निष्कर्ष:

अगर आप चाहते हैं कि आने वाले महीनों में आपका चेहरा अधिक आकर्षक, दिमाग तेज और शरीर अधिक शक्तिशाली बने — तो हर सुबह कुछ मिनट प्राणायाम को समर्पित करें।

यह प्रकृति का सबसे सस्ता और सबसे प्रभावी "एनर्जी ड्रिंक" है।


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