सारांश: नेपाल में भारी बारिश से उत्पन्न बाढ़ और भूस्खलन के कारण अब तक 112 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग लापता हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है, जिसमें हेलिकॉप्टरों का भी इस्तेमाल हो रहा है। नेपाल से आने वाले बाढ़ के पानी के कारण बिहार के उत्तरी हिस्सों में भीषण बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। सरकार ने अगले 48 घंटों के लिए अलर्ट जारी किया है और 13 जिले बुरी तरह प्रभावित हैं।


नेपाल में बाढ़ और भूस्खलन का कहर: 112 की मौत, दर्जनों लापता, उत्तर बिहार में भी चेतावनी जारी


नेपाल में हो रही भारी बारिश ने तबाही मचाई है। गुरुवार से शुरू हुई बारिश के कारण नेपाल के कई हिस्सों में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में तेजी आई है। अब तक इस प्राकृतिक आपदा में 112 लोगों की मौत हो चुकी है, और 79 लोग लापता हैं, जिनमें से 16 लोग काठमांडू घाटी से हैं। बाढ़ और भूस्खलन के चलते 3,000 से अधिक लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य चलाए जा रहे हैं, लेकिन 63 प्रमुख हाईवे बंद होने से यह कार्य कठिन हो गया है। बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए हेलिकॉप्टरों का भी उपयोग किया जा रहा है।


राहत और बचाव प्रयास:

नेपाल सरकार ने इस स्थिति को देखते हुए तत्काल प्रभाव से राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। कार्यवाहक प्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई, जिसमें गृह मंत्री और गृह सचिव सहित विभिन्न मंत्रियों ने भाग लिया। सरकार ने तीन दिनों के लिए सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है, साथ ही चल रही परीक्षाओं को भी स्थगित कर दिया है।


काठमांडू में बाढ़ के कारण शहर के कई हिस्सों में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई थी, जिसे शनिवार शाम को बहाल कर दिया गया। हालांकि, भूस्खलन के कारण काठमांडू के कई रास्ते अभी भी बंद हैं। काठमांडू में 226 से अधिक घर पानी में डूब गए हैं। नेपाल पुलिस के 3,000 से अधिक कर्मियों को बचाव अभियान में लगाया गया है।


बिहार में बाढ़ का खतरा:

नेपाल में हो रही भारी बारिश का असर नेपाल के साथ-साथ बिहार पर भी पड़ रहा है। नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण बिहार के उत्तरी हिस्सों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। बिहार सरकार ने गंडक, कोसी, महानंदा और बागमती नदियों के किनारे बसे क्षेत्रों में अगले 48 घंटों के लिए अलर्ट जारी किया है। पहले से ही 13 जिले बाढ़ की चपेट में हैं, जिनमें पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, गोपालगंज, सीवान, सीतामढ़ी, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, सुपौल, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर और मधुबनी शामिल हैं। इन जिलों में 141,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं।


बिहार के कई गांवों में पानी घुस चुका है, जिससे वहां की जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुई है। खेतों में पानी भरने से फसलें बर्बाद हो रही हैं और लोग घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं। राज्य सरकार ने राहत शिविरों की स्थापना की है और राहत सामग्री वितरित की जा रही है, लेकिन स्थिति गंभीर बनी हुई है।


भविष्य की चुनौतियां:

नेपाल और बिहार दोनों ही क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन और अनियोजित विकास के कारण बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। नेपाल में मानसून के दौरान हर साल इस तरह की आपदाएं देखने को मिलती हैं, लेकिन इस बार की स्थिति पहले से ज्यादा विकराल है। आपदा विशेषज्ञों के अनुसार, नेपाल और बिहार के लिए जल प्रबंधन की स्थायी योजनाएं बनाना जरूरी है ताकि इस तरह की आपदाओं को रोका जा सके या कम किया जा सके। नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में हो रहे अनियंत्रित निर्माण और वनों की कटाई ने भूस्खलन की घटनाओं को बढ़ावा दिया है।

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